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Basant Me Murjhaye Phool - बसंत में मुरझाए फूल Sad Hindi Poem Written by Amrit Sahu



   बसंत में मुरझाए फूल 

Basant Me Murjhaye Phool - बसंत में मुरझाए फूल Sad Hindi Poem Written by Amrit Sahu


याद किया जब बचपन को 

फिर लौटा जब वर्तमान को 

तो ऐसा लगा की 

बसंत में कुछ कमी-सी हैं

बादल कुछ घनी-सी हैं


पंछी चह-चहा रहे थे 

गगन सब सुन रहे थे 

भले कमल मुस्कुरा रहे थे 

पर तालाब गुमसुम थे 

पत्थर धुप में जल रहे थे 

और हवा कुछ थमी-सी थीं

बसंत में कुछ कमी-सी थीं 

बादल कुछ घनी-सी थीं 


दुखी थे सारे वृक्ष

तितलिया बैठी थीं रेत पर

रात्रि अभी हुई नहीं थीं 

चारो तरफ अंधेरा था

सूरज रोते-रोते सो गया 

कोई अंतरिक्ष में खो गया 

बीता हुआ समय

लौटकर आएगा नहीं 


तभी तो आँखो में नमी-सी थीं 

बसंत में कुछ कमी-सी थीं

बादल कुछ घनी-सी थीं ।

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